राफेल पर अटॉर्नी जनरल बोले, चोरी हुए दस्तावेजों की खबरें अखबारों में छपी

 



 


राफेल मुद्दे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 14 मार्च को दोपहर 3 बजे से प्रारंभ होगी। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने सरकार और याचिकाकर्ताओं के पक्ष को सुन लिया है।


राफेल मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच लंच के बाद जब दोबारा सुनवाई के लिए बैठी तो अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने बताया कि दुनिया के किसी देश में रक्षा सौदे पर कोर्ट में इस तरह से सुनवाई नहीं होती है। इस पर न्यायाधीश जोसफ ने कहा कि तब तो बोफोर्स पर भी सुनवाई नहीं होनी चाहिए थी। जस्टिस संजय किशन कौल ने बताया कि आप कह रहे हैं कि कुछ दस्तावेज हमारे सामने आए हैं, हम उनको देखें ही नहीं?


जस्टिस के एम जोसफ के सवाल पर एटॉर्नी जनरल ने बताया कि हर बात की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है। क्या हमें कोर्ट को ये भी बताना होगा कि जंग क्यों हुई है। शांति का फैसला क्यों लिया गया है। कोर्ट याचिकाकर्ताओं से दस्तावेज पाने का जरिया पूछे। इनके तरीका उचित लगे तो आप आवश्यक सुनवाई करे। जस्टिस के एम जोसफ ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार की जांच की मांग की जा रही है तो आप राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर बच नहीं पाएंगे।


अटॉर्नी जनरल ने बताया कि द हिंदू और एएनआई के पास जो दस्तावेज मिले हैं, वो चोरी हुए थे। इस बात पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पूछा कि क्या रक्षा मंत्रालय के सम्बंधित विभाग के प्रमुख यही बात कहते हुए हलफनामा देंगे? । इसके बाद एटॉर्नी जनरल ने कहा कि मैं कल तक हलफनामा जमा करवा दूंगा।


अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में बताया कि कागजात चोरी करवा के याचिका तैयार की गई है और इसके लिए सजा दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश को आधुनिक विमानों की आवश्यकता है। यहां कुछ लोग सीबीआई जांच करवाने पर डट़े हुए हैं। हमारे पड़ोसी के पास एफ16 है। हम सुरक्षा को लेकर चिंतित बने हुए हैं। हमने अपने कुछ पायलटों को रफाल की जानकारी लेने फ्रांस भेजा है।


इसके बाद प्रशांत भूषण ने दलील देते हुए कहा कि 2जी, कोयला घोटाला की भी जांच इसी तरह हुई थी। मुझे भी किसी सूत्र से कागजात मिले थे। मैंने याचिका दाखिल की थी। तब भी यह सवाल उठा था कि दस्तावेज कहां से आए थे। वहीं एटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से आग्रह किया कि ये मामला राजनीति का हथियार बना दिया गया है। कोर्ट के किसी भी बयान के आधार पर सरकार को बदनाम करने की तैयारी का रही है। आप कुछ कहने में संयम बरतें।


राफेल पर याचिकाकर्ताओं में से एक अरुण शौरी ने बताया कि हम न्याय के प्रति अपने दायित्व को पूरी तरीके से निभा रहे है। जिन कागजात के बारे में लाखों लोगों ने पढ़ा, उसे कोर्ट को क्यों नहीं दिया जाए? इसमें गलत कहां तक हैं।


इससे पहले राफेल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई पुर्नविचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुबह से जोरदार बहस चल रही। बहस के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सरकार पर जानकारी छुपाने का आरोप जड दिया। उन्होंने सरकारी पक्ष ने ऑफीशियल सीक्रेट एक्ट के उल्लंघन का आरोप लगा दिए। सरकारी पक्ष की ओर से अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कुछ दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से गायब हुए, चोरी वाले दस्तावेज अखबार में छपे हैं।